जानें मोटरयान अधिनियम (संशोधन) 2017 के बारे में
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार विश्व में लगभग 15 लाख लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा देते है और इस से भी दुखद यह है कि, मरने वालों में सर्वाधिक संख्या 15 – 29 वर्ष के आयुवर्ग के युवाओं की होती है। वर्तमान में हमारी समस्त शाखाएँ ग्रामीण अंचल में कार्यरत है, इसलिए हमारा यह फ़र्ज़ है कि, हमारे ग्राहकों को ध्यानाकर्षण इस गंभीर विषय पर किया जायें। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत कम उम्र के किशोर – किशोरी वाहनो को सरपट दौड़ाते नज़र आते है और लाइसेंस (Driving License) अब भी आपको बहुत काम चालकों के पास मिलगा।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार सन 2017 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वालों की संख्या 4,65,240 और सड़क हादसों में 1,50,093 लोगों ने अपनी जान गंवाई। इनमें 4372 मृतक 14 वर्ष से कम के, 14 वर्ष से 18 वर्ष के 13,825 और 18 वर्ष – 30 वर्ष के 48,996 लोगों ने अपनी जान गंवाई, मतलब मृतकों में 67,193 लोग 30 वर्ष से कम आयुवर्ग के थे।
सड़क परिवहन को सुरक्षित बनाने और जान माल की क्षति को न्यूनतम करने के उद्देश्य से भारत सरकार (Government of India ) ने 01 जुलाई 1989 को मोटर वाहन अधिनियम 1988 को सम्पूर्ण भारत में लागु किया। सन 1990 से 2020 तक घरेलु और व्यावसायिक वाहनों की संख्या में बहुत बड़ी संख्या में वृद्धि दर्ज की गयी है साथ ही साथ परिवहन के क्षेत्र में बहुत बड़े पैमाने पर मूलभूत संरचनाओं का विकास हुआ है व उन्नत प्रौद्योगिकी (Technology) ने वाहनों पहले से शक्तिशाली बना दिया है ।
यहाँ एक और गौरतलब बात है कि, आजकल ग्रामीण क्षेत्रों में अपने नाबालिग़ बच्चों से वाहन चलवाना शान माना जाता है और आप ऐसे बहुत से किशोर देखेंगे जिनके पैर कार के क्लच तक ठीक से नहीं पहुँचते या दो पहिया वाहन से नीचे नहीं टिकते वे सरपट मोटरसाइकिल दौड़ा रहे है। अभिभावकों का गैर जिम्मेदाराना रवैया स्वयं की सन्तानो के साथ साथ अन्य लोगों के लिए भी हानिकारक सिद्ध हो सकता है। शराब के सेवन का बढ़ता चलन भी सड़क यात्रा को असुरक्षित बना रहा है।
उक्त परिपेक्ष्य में यह लाज़मी हो गया था कि, सड़क परिवहन सम्बंधित कानून में कुछ ठोस और कठोर कदम उठायें जाये। इस सम्बन्ध में भारत सरकार द्वारा सन 2017 में मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2017 लोकसभा के पटल पर प्रस्तुत किया गया था, जो 31 जुलाई 2019 में राज्यसभा में जनमत संग्रह कर कानून बन गया। शासन द्वारा सड़क परिवहन को सुरक्षित करने हेतु जो प्रमुख कदम उठाये गए वो इस प्रकार है :-
कैशलेस ट्रीटमेंट
यह संशोधित अधिनियम केंद्र को यह शक्ति प्रदान करेगा की वह ऐसी योजना का विकास कर सके जो सड़क दुर्घटना में घायल पीड़ित को दुर्घटना के 1 घंटे के भीतर मुफ्त इलाज़ की सुविधा उपलब्ध करवा सके। गौरतलब ही कि, सड़क दुर्घटना में दुर्घटना के बाद के 60 मिनट पीड़ित के प्राणों की रक्षा के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण होते है।
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड
यह अधिनियम भारत सरकार को यह शक्ति प्रदान करता है कि, वह समस्त राज्यों के प्रतिनिधियों वाले सलाहकार मंडल का गठन कर सकता है, समय समय पर सड़क सुरक्षा सम्बन्धी एवं यातायात नियंत्रण के महत्वपूर्ण सुझाव भारत सरकार को प्रदान करेगा और साथ ही साथ सड़क निर्माण जैसे आदि महत्वपूर्ण विषयों पर गुणात्मक कार्य करेगा।
डिजिटल माध्यम से लाइसेंस
बिचौलियों को हटाने हेतु शाशन द्वारा यह तय किया गया है की, लर्निंग लाइसेंस डिजिटल माध्यम से परीक्षा ले कर सीधे आवंटित किये जायेंगे। इस से आवेदकों को काम परेशानी होगी और विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार में कमी आएगी, परन्तु यह व्यवस्था राज्यों के लिए पूर्णतः वैकल्पिक है।
घायलों को अस्पताल पहुँचाने पर कानून बाध्यता नहीं
सड़क दुर्घटना में प्रभावित व्यक्ति को चिकित्सीय या गैर चिकित्सीय सहायता करने वाले व्यक्ति पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं होगी, बशर्ते यह सहायता बिना किसी दबाव के या लालच के की गयी हो। सहायता करने वाले व्यक्ति को एक सामन्य प्रश्नावली का उत्तर देना होगा और स्वयं की व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, पता, व्यवसाय आदि पुलिस को बताना होगा।
वाहनों और चालक लाइसेंस की राष्ट्रीय पंजी
इस अधिनियम की धारा 25 ए के अंतर्गत वाहनों एवं वाहन चालक लाइसेंस की राष्ट्रीय पंजी का निर्माण प्रस्तावित है। इसका उद्देश्य अनुज्ञा प्रक्रिया को सरल बनाना और देश भर में एकल प्रणाली का अनुपालन करवाना है।
क्षतिपूर्ति और बीमा
- हिट एण्ड रन मामलों को पीड़ितों को क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिए क्षतिपूर्ति फण्ड का प्रावधान, जिसमे गंभीर चोट लगने पर रुपये 50,000 और जनहानि होने पर रुपये 2,00,000 या अधिक की मुआवजा राशि देने का प्रावधान है।
- इस अधिनियम के अंतर्गत बीमा कंपनियों को तृतीय पक्ष देयक गंभीर चोट लगने पर या मृत्यु होने की स्तिथि में 10 लाख की क्षतिपूर्ति राशि देना होगी।
वाहन दुर्घटना कोष (Motor Vehicle Accident Fund)
इस अधिनियम की धारा 164 ख के तहत वाहन दुर्घटना फण्ड का गठन किया जायेगा। इस फण्ड के अंतर्गत गोल्डन ऑवर स्कीम के खर्च का वहन किया जायेगा। इस कोष के घायलों या मृतकों के परिजनों को सहायता राशि उपलब्ध करवाई जाएगी आदि ।
इस अधिनियम के अंतर्गत नियमों को पालन न करने पर अधिरोपित की जाने वाली जुर्माना राशि में वृद्धि की गयी है , जो इस प्रकार है :-
धारा | उपबंध | जुर्माना | संशोधित जुर्माना |
177 | साधारण उपबंध का उलंघन | ₹ 100 | ₹ 500 |
178 | पास या टिकट के बिना यात्रा करना | ₹ 200 | ₹ 2000 |
179 | आदेशों की अवज्ञा | ₹ 500 | ₹ 2000 |
180 | अप्राधिकृत व्यक्ति द्वारा वाहन चलाना | ₹ 1000 | ₹ 5000 |
181 | लाइसेंस ना होने पर भी वाहन चलाना | ₹ 500 | ₹ 5000 |
182 | अनुज्ञप्ति सम्बन्धी अपराध | ₹ 500 | ₹ 10000 |
183 | अत्यधिक गति से वाहन चलाना | ₹ 400 | ₹ 2000 |
184 | खतरनाक तरीके से मोटरयान चलना | ₹ 1000 | ₹ 5000 तक |
185 | मादक द्रव्य के असर में होते हुए मोटरयान चलना | ₹ 2000 | ₹ 10000 |
189 | दौड़ और गति का मुकाबला करना | ₹ 500 | ₹ 5000 |
192 क | परमिट के बिना यान का उपयोग | ₹ 5000 | ₹ 10000 तक |
194 | अनुज्ञेय भार से अधिक भार | – | ₹ 20000 व ₹ 2000 प्रति टन |
194 क | क्षमता से अधिक यात्री बिठाना | – | ₹ 1000 प्रति अतिरिक्त यात्री |
196 | बीमा न किये गए वाहन को चलाना | ₹ 1000 | ₹ 2000 |
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